Sunday, 24 May 2020

यूपी में अब कोरोना के मरीज नहीं कर सकेंगे मोबाइल का इस्तेमाल, लगाया गया बैन

      यूपी में अब कोरोना के मरीज नहीं 

  कर सकेंगे मोबाइल का इस्तेमाल, लगाया 

गया बैन



 उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक के के गुप्ता की तरफ से जारी किए गए आदेश में साफ-साफ कहा गया कि प्रदेश के कोविड समर्पित एल-2 और एल-3 चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है,  इससे संक्रमण फैलता है।


डीजी स्वास्थ्य ने कोरोना मरीजों द्वारा फोन के इस्तेमाल पर लगाई रोक

डीजी स्वास्थ्य का कहना है कि मोबाइल से फैलता है कोरोना का संक्रमण 
चिकित्साशिक्षा (महानिदेशक) 
K K Gupta 

  • यूपी के डीजी मेडिकल केके गुप्ता ने कोरोना के मरीजों को मोबाइल साथ ले जाने पर पाबंदी लगाने का आदेश दिया है. इसके लिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज और संबंधित अधिकारियों को पत्र भी लिखा गया है. बता दें कि केके गुप्ता ही वो अधिकारी हैं, जिन्होंने प्रदेश में पीपीई किट में गड़बड़ियां होने की शिकायत की थी और इनके इस्तेमाल पर रोक लगाई थी
》》महानिदेशक (चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण), उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद राज्य में कोविड-19 समर्पित अस्पतालों में मरीजों द्वारा मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. डीजी के मुताबिक मोबाइल से कोरोना संक्रमण फैलता है. इसके बाद कोरोना वार्ड में नई व्यवस्था के तहत अस्पताल के वार्ड इंचार्ज के पास 2 मोबाइल फोन रहेंगे. जिसके द्वारा वार्ड इंचार्ज मरीजों की उनके परिजनों से बातचीत कराएंगे.




उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक के के गुप्ता की तरफ से जारी किए गए आदेश में साफ-साफ कहा गया कि प्रदेश के कोविड समर्पित एल-2 और एल-3 चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों को आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि इससे संक्रमण फैलता है.


इसके साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि चिकित्सालयों में भर्ती कोविड संक्रमित मरीजों को अपने परिजनों से बात कराने और शासन या अन्य किसी से बात करने के लिए दो मोबाइल फोन कोविड केयर सेंटर के वार्ड इंचार्ज के पास रखवाए जाएं. लेकिन उन मोबाइल फोन के लिए इंफेक्शन प्रिवेंशन कंट्रोल का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा.

》आदेश में कहा गया कि वार्ड इंचार्ज के पास रखे गए उन दोनों फोन का मोबाइल नंबर मरीजों के परिजनों और स्वास्थ्य निदेशालय को उपलब्ध कराया जाए ताकि जरूरत पड़ने पर मरीजों से समय-समय पर बात करना संभव हो सके.

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